रतनपुर के पर्यटन स्थल
1. लक्ष्मी देवी मंदिर
लक्ष्मी देवी मंदिर वैसे तो रतनपुर वैसे तो रतनपुर नामक यहां नगर तालाबों के शहर के नाम से जाना जाता है ही लेकिन इसके साथ ही साथ मंदिरों के शहर के नाम से भी जाना जाता है यहां अनेक चमत्कारी तथा भव्य प्राचीन मंदिर स्थित है रतनपुर महामाया मंदिर के नाम से ना केवल छत्तीसगढ़ में ही नहीं बल्कि परंतु रतनपूर संपूर्ण भारतवर्ष में प्रसिद्ध है रतनपुर महामाया मंदिर के अलावा भी ऐसे अनेक मंदिर यहां स्थित हैं जिसमें से कई काफी अद्भुत है एवं वहां पहुंचा भी आसानी से जा सकता है जिसमें से एक है मां लक्ष्मी देवी का मंदिर यहां मंदिर था इसलिए भी है क्योंकि यहां एक मिसाल पहाड़ के रूप में बना हुआ है साथ ही रतनपुर में से पहाड़ों में सबसे अधिक ऊंची पर हैं
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2. राम टेकती रत्नपुर छत्तीसगढ
छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिले के लगभग 25 किलोमीटर तथा राजधानी रायपुर 140 किलोमीटर की दूरी पर बिलासपुर से कटघोरा मार्ग में रतनपुर नगर में स्थित है राम टेकरी जो भी काफी ऊंची पहाड़ पर बनी हुई हैं जिसके चलते इसे रामटेकरी कहा जाता है यहां पर भगवान श्रीराम माता-पिता के साथ विराजमान है साथ ही ऐसी मान्यता है कि यहां मंदिर मराठों के शासन के समय में बनाया गया था रामटेकरी ने भगवान श्री राम सीता मैया एवं भगवान हनुमान जी की खूबसूरत ग्रेनाइट मूर्तियां विराजित हैं यहां पहाड़ी पर राम जानकी मंदिर से अपने नाम से ही उत्पन्न हैं यहां पर पर्यटक एवं श्रद्धालु हर सुबह पुजा किया करते हैं
3. महामाया मन्दिर
महामाया मन्दिर रतनपुर का महामाया मंदिर तिरुपति के कलचुरी वंश की एक शाखा ने रतनपुर को अपनी राजधानी बना कर काफी लंबे समय तक छत्तीसगढ़ में शासन किया राजा रत्ना देव प्रथम द्वारा मणिपुर नामक गांव को रतनपुर नाम देकर अपनी राजधानी बनाया गया था साथ ही श्री आदिशक्ति महामाया देवी मां की मंदिर का निर्माण राजारत्न देव प्रथम द्वारा 11वीं शताब्दी में करवाया गया था
जहां पर महामाया देवी की शक्ति पीठ मौजूद है रतनपुर में श्रद्धालुओं की भीड़ को सालभर बनी रहती है लेकिन नवरात्रि के विशेष दिनों में यहां की भीड़ देखते ही बनती है नवरात्रि के दिनों में यहां पर हजारों लाखों श्रद्धालु का भीड़ उमड़ा हुआ होता है यह नवरात्रि के दिन भर घंटो तक लाइन में लगे रहते तब जाकर देवी मां के दर्शन करते है कभी-कभी तो यहां पर इतनी अधिक भीड़ लगी रहती है कि लोगों का कतार गेट के बाहर तक पहुंच जाता है यहां पर वैसे तो साल भर में यहां मेला लगा ही रहता है जैसे कि चंद्रपुर इससे मां चंद्रहासिनी देवी के मंदिर में लगा रहता है लेकिन नवरात्रि के दिनों में यहां के मेले में भराव काफी अधिक होता है अवसरों पर इकट्ठा हुआ करते हैं
4.किवदंती
यह माना जाता है कि देवी की पहली पूजा और अभिषेक 1050 ईस्वी में कलिंग रत्न देव द्वारा इस स्थान पर किया गया था, जब उन्होंने अपनी राजधानी तुमान से रत्नपुर स्थानांतरित कर दी थी। रत्न देव ने अपनी राजधानी क्यों स्थानांतरित की, इस पर एक अच्छी कथा है। एक बार रत्न देव शिकार खेलते हुए शाम तक रतनपुर पहुँचे। रात में वापस तुमान जाने के बजाय, उन्होंने महामाया मंदिर के पास एक पेड़ के नीचे रात बिताने का फैसला किया। आधी रात को तेज रोशनी से उसकी नींद टूट गई। वह उठा और देवी महामाया के दरबार को प्रगति पर पाया, जहाँ वह अपने परिचारकों के साथ उपस्थित थी। वह काफी हैरान था लेकिन अगली सुबह तुमान वापस चला गया। बाद में रात में उन्हें एक सपना आया जहां देवी ने उन्हें अपनी राजधानी रतनपुर स्थानांतरित करने के लिए कहा, जिसके परिणामस्वरूप उनकी प्रसिद्धि और महिमा होगी।
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5.महमाया देवी की दोहरी मूर्ति
मुख्य मंदिर परिसर के अंदर, प्रसिद्ध कंठी देवल मंदिर और मंदिर के मुख्य तालाब के सामने महामाया की शानदार दोहरी मूर्तियाँ हैं: सामने वाली को महिषासुर मर्दिनी कहा जाता है और पीछे की मूर्ति को देवी सरस्वती की माना जाता है। हालांकि, एक आकस्मिक दर्शक द्वारा पीछे की प्रतिमा को अक्सर अनदेखा किया जा सकता है। नवरात्रों में देश-दुनिया के कोने-कोने से भक्त देवी की एक झलक पाने के लिए आते हैं और अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं।
6.महामाया देवी मंदिर नवरात्री के नौ दिन
नवरात्र श्री महामाया देवी मंदिर के लिए प्रमुख उत्सव के अवसर होते हैं। नवरात्र हर साल दो बार मनाए जाते हैं, प्रत्येक नौ दिनों की अवधि। इस समय भव्य समारोह, विशेष पूजा और देवी के अभिषेक का आयोजन किया जाता है। भक्त पूरे नौ दिन उपवास रखते हैं। हजारों लोग देवी के दर्शन के लिए मीलों पैदल यात्रा करते हैं। नवरात्रों के पूरे नौ दिनों तक कलशों को “जीवित” रखा जाता है। इसलिए इन्हें अखंड मनोकामना नवरात्र ज्योति कलश भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि आप उचित उपवास, पूजा और देवी की अर्चना का पालन करते हैं तो देवी आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
रतनपुर और उसके आसपास के दर्शनीय स्थल
पीसी- पृथ्वीराज धंग
रतनपुर किला रतनपुर शहर का सबसे प्रमुख पर्यटन स्थल है। हालाँकि शहर में कई अन्य मंदिर भी हैं, जिन्हें देखने हज़ारों पर्यटक आते हैं, फिर भी रतनपुर अपने अद्भुत रतनपुर किले के लिए जाना जाता है। अन्य प्रमुख आकर्षणों में देवी कोसलेश्वरी को समर्पित महामाया मंदिर, बूढ़ा महादेव और रामटेकरी शामिल हैं।हिंदू त्योहारों के मौसम में, इन मंदिरों में पर्यटकों और भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है। अगर आप रतनपुर की मुख्य सीमाओं से परे घूमना चाहते हैं, तो आप कांति मंदिर परिसर भी जा सकते हैं, जो एक प्राचीन स्थल है और इस क्षेत्र के स्थापत्य कला के अद्भुत नज़ारों में से एक है।
रतनपुर की विशेषता
पीसी- साजिदुबैद
इस शहर की सबसे बड़ी विशेषता इसका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। कई मंदिरों की उपस्थिति के कारण, रतनपुर हर साल हज़ारों हिंदू श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है और कई ऐतिहासिक इमारतों के कारण, यह सदियों से सैकड़ों यात्रियों और इतिहास प्रेमियों को आकर्षित करता रहा है।इन सबके अलावा, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि रतनपुर का परिवेश हरियाली से भरपूर है और इसलिए, आपको रतनपुर में प्रदूषण-मुक्त वातावरण की सुंदरता का अनुभव होता है। क्या यह प्रकृति, अध्यात्म और इतिहास का एक बेहतरीन मिश्रण नहीं है? तो देर न करें। रतनपुर की एक रोमांचक और शानदार यात्रा की योजना बनाएँ
रतनपुर कैसे पहुँचें
पीसी- मैप्स
हवाई मार्ग : आप रायपुर हवाई अड्डे के लिए सीधी उड़ान ले सकते हैं, जो लगभग 150 किमी दूर स्थित है। हवाई अड्डे से आप रतनपुर के लिए टैक्सी किराए पर ले सकते हैं। आपको अपने गंतव्य तक पहुँचने में लगभग 4 घंटे लगेंगे।
रेल मार्ग: रतनपुर के लिए कोई सीधी ट्रेन उपलब्ध नहीं है। हालाँकि, आप बिलासपुर जंक्शन तक ट्रेन पकड़ सकते हैं, जो लगभग 35 किमी दूर है, और फिर वहाँ से रतनपुर के लिए टैक्सी ले सकते हैं।
सड़क मार्ग: रतनपुर में सड़क नेटवर्क अच्छा है और इसलिए सड़क मार्ग से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।