भारत में शिव मंदिर तो आपने बहुत देखे होंगे लेकिन यहां कुछ ऐसे मंदिर हैं जहां आप अपना फ्री में खाना और रहना कर सकते हैं, वो भी सावन महीने के दौरान। इस लेख के जरिए उन मंदिरों के बारे में। सावन का महीना शिवभक्तों के लिए किसी त्योहार से कम नहीं होता। इस खूबसूरत महीने में भगवान शिव की पूजा की जाती है, रुद्राभिषेक किया जाता है और कांवड़ यात्रा निकाली जाती है। इस तरह के धार्मिक अनुष्ठान सावन के महीने में किए जाते हैं। देशभर से लाखों श्रद्धालु हर साल सावन में प्रसिद्ध शिव मंदिरों की ओर निकलते हैं। कुछ मनोकामना मांगने जाते हैं, तो कुछ शांति की तलाश में महादेव के दर्शन करने के लिए आते हैं।
मित्रों इससे पहले वाले ब्लॉग में तीन मंदिर केदारनाथ, सोमनाथ, अंत्रामलाई मंदिर के बारे में विस्तार पूर्वक विचार किए थे आज के आर्टिकल में जानने देश के मुख्य पर्यटन स्थल महाकालेश्वर मन्दिर, काशी विश्वनाथ मंदिर, लिंगराज मंदिर आइए जानते है ऐसे विशाल शिव मंदिर के बारे में जो हमारे भारत देश में है देश विदेश से लोग इस पर्यटन स्थल की दर्शन के लिए आते हैं ऐसे ही सुंदर आकर्षक पर्यटन स्थलों के बारे में जानने के इस ब्लॉग में बने रहिए
भारत दक्षिण एशिया का सबसे विशाल देश है यात्रा एवं पर्यटन की बात करे तो यहां एक समृद्ध देश है जहां कई प्रकार के दर्शनीय स्थल मौजूद है जिसमें कई स्थल कई वर्ष पुराने भी होते हैं इसमें कई ऐसे स्थल भी मौजूद है जिसने अब तक लोगों ने नहीं देखा है और कई स्थल तो ऐसे भी है जिसके बारे में कई लोग जानते भी नहीं है
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- शोर मंदिर (तमिलनाडु)
- महाकालेश्वर मंदिर
- काशी विश्वनाथ मंदिर
- लिंगराज मंदिर
- बाबा बैद्यनाथ धाम, देवघर
- तारकेश्वर मंदिर (पश्चिम बंगाल)
- काशी विश्वनाथ मंदिर (उत्तर प्रदेश)
- ओंकारेश्वर मंदिर (मध्य प्रदेश)
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1.शोर मंदिर (तमिलनाडु) – बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित महाबलीपुरम का तट मंदिर 700-728 ईस्वी के बीच निर्मित किया गया था। मंदिर की बेजोड़ स्थापत्य कला ने समय की कसौटी पर खरा उतरा है। महाबलीपुरम के स्मारकों के समूह के एक भाग के रूप में, इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया है। प्राचीन काल में, तट मंदिर व्यापारिक जहाजों के लिए महाबलीपुरम बंदरगाह के लिए एक मील का पत्थर हुआ करता था। यहाँ के दो मुख्य मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं, जबकि परिसर में एक छोटा मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है।
2. महाकालेश्वर मंदिर – भारत के प्राचीन और सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक महाकालेश्वर मंदिर है मध्य प्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित है उज्जैन महाकाल की नगरी के नाम से प्रसिद्ध है उज्जैन नगरी महाकालेश्वर मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं महाकालेश्वर मंदिर में होने वाली आरती की जाती है इसके साथ ही समशन में हुई राख से किया जाता है मध्य प्रदेश में स्थित मंदिर भारत में घूमने के लिए बहुत ही सुंदर पर्यटन स्थल में
3. काशी विश्वनाथ मंदिर – काशी विश्वनाथ भगवान शिव को समर्पित है सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक हैं इस मंदिर की बात की जाए तो क्या भारत के उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में स्थित है इस मंदिर में भी 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है गंगा नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थापित हैं इस मंदिर का नाम में काशी का अर्थ वाराणसी है वहीं विश्व का मतलब है ब्रह्मांड के स्वामी काशीविश्वनाथ मंदिर के दर्शन के लिए एक बार जरूर जाना चाहिए
4. लिंगराज मंदिर – भारत के राज्य की राजधानी भुनेश्वर में स्थित भगवान शिव का मंदिर यहां की सबसे प्राचीन रचनाओं में से एक हैं लिंगराज मंदिर कलिंग शैली की वास्तुकला से सुसज्जित होने के साथ उड़ीसा के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक हैं लिंगराज मंदिर की स्थापना सॉन्ग वर्ष के राजाओं द्वारा की गई थी जिसके बाद आर्य वंश के राजाओं ने भी इसका पुनर्निर्माण करवाया था आप अगर शिव मंदिर घूमने का विचार कर रहे हैं तो लिंगराज मंदिर सबसे अच्छा विकल्प रहेगा
5.बाबा बैद्यनाथ धाम, देवघर
बाबा बैद्यनाथ धाम, जिसे बाबा धाम भी कहते हैं, झारखंड के देवघर में मौजूद एक प्राचीन और प्रसिद्ध शिव मंदिर है। ये भी द्वादश ज्योतिर्लिंगों में शामिल है। माना जाता है, रावण ने शिव को खुश करने के लिए घोर तपस्या की थी और उनसे ये शिवलिंग प्राप्त किआ था, जिसे वे लंका ले जाने वाले थे, लेकिन शिवलिंग देवघर में स्थापित हो गया, इसलिए इसे बेहद शक्तिशाली और फलदायी मानते हैं। श्रावणी मेले के समय मंदिर ट्रस्ट, प्रशासन और सामाजिक संगठनों द्वारा पूरे देवघर में बड़ा शिविर कई जगहों पर लंगर और भोजनशलाएं चलती हैं। जहां सात्विक खाना फ्री में दिया जाता है।
कैसे पहुंचें:
रेलवे स्टेशन: देवघर जंक्शन (5 किमी)
एयरपोर्ट: देवघर एयरपोर्ट (8 किमी)
स्टेशन या एयरपोर्ट से अगर आप आ रहे हैं तो दोनों से मंदिर परिसर तक टैक्सी, ऑटो और लोकल वाहन आसानी से मिल जाता है।
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6.तारकेश्वर मंदिर (पश्चिम बंगाल)
पश्चिम बंगाल में स्थित तारकनाथ मंदिर राज्य में भगवान शिव का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह मंदिर पवित्र हुगली नदी के एक छोटे से हिस्से की शोभा बढ़ाता है। इसकी पारंपरिक बांग्ला शैली की वास्तुकला इसे एक अनूठा शिव मंदिर बनाती है। मंदिर में एक छोटा सा जलकुंड भी है। लोगों का मानना है कि इसमें डुबकी लगाने से भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। यहाँ के मुख्य देवता भगवान शिव का एक उग्र रूप हैं, जिन्होंने समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को पी लिया था। मंदिर में पूजित लिंग पास के तारकेश्वर क्षेत्र में खोजा गया था।
7. काशी विश्वनाथ मंदिर (उत्तर प्रदेश)
जब बात प्रतिष्ठित मंदिरों की आती है, तो प्राचीन शिव मंदिर, विशेष उल्लेख के योग्य है। देवभूमि वाराणसी में स्थित यह मंदिर पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। यह मंदिर शिव पूजा और तीर्थयात्रा का एक अभिन्न अंग है। भगवान की पूजा विश्वनाथ जी के रूप में की जाती है, जिसका अर्थ है ब्रह्मांड का स्वामी। मुगल सम्राटों द्वारा मंदिर को ध्वस्त किए जाने का एक लंबा इतिहास रहा है। हालाँकि, मंदिर का निर्माण हमेशा होता रहा और वर्तमान संरचना का निर्माण इंदौर की अहिल्याबाई होल्कर ने 1780 में करवाया था। अपने समृद्ध ऐतिहासिक मूल्य के अलावा, मंदिर की विशिष्ट विशेषता इसका 16 मीटर ऊँचा सोने का शिखर और महाराजा रणजीत सिंह द्वारा दान किया गया शुद्ध सोने का गुंबद है। इस मंदिर को आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद और कई अन्य जैसे उल्लेखनीय संतों की सम्मानित उपस्थिति से भी सम्मानित किया गया है।
8. ओंकारेश्वर मंदिर (मध्य प्रदेश)
मध्य प्रदेश के खंडवा में हिंदू भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर भारत के 12 सर्वाधिक पूजनीय ज्योतिर्लिंगों में से एक है। जैसा कि नाम से पता चलता है, मंदिर शिव के ओंकार रूप को समर्पित है जिसका अर्थ है ‘ओम’ ध्वनि का स्वामी। मंदिर मांधाता नामक एक द्वीप पर है जो एक पवित्र द्वीप है और ‘ओम’ प्रतीक के आकार का माना जाता है। यहां की पूजा-अर्चना अत्यधिक विस्तृत है। देवता की पूजा दिन में तीन बार तीन अलग-अलग पुजारियों द्वारा की जाती है। भगवान की पीठासीन मूर्ति तीन सिरों वाले लिंगम के रूप में प्रस्तुत की गई है जिसका अपना पौराणिक महत्व है। किंवदंतियों के अनुसार, भगवान शिव विंध्य (विंध्याचल पर्वत श्रृंखला को नियंत्रित करने वाले भगवान) की पूजा से प्रसन्न होने के बाद उनके सामने प्रकट हुए थे।
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