सक्ति | शहर में इस साल भी रौताही मेले की रौनक देखने को मिलेगी। 3 दिसंबर से 31 दिसंबर तक स्टेशन रोड स्थित निजी परिसर में रौताही मेले का आयोजन प्रस्तावित है। मेले के लिए निजी मेला संचालकों ने जगह की अग्रिम बुकिंग शुरू कर दी है और परिसर के बाहर बोर्ड लगाकर जानकारी दी जा रही है।विगत वर्ष भी यही मेला स्टेशन के पास स्थित इसी परिसर में आयोजित हुआ था और इस बार भी वही स्थल तय माना जा रहा है। हालांकि, नगर पालिका प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक सूचना जारी नहीं की गई है।
पूर्व में नगर पालिका द्वारा परंपरागत रूप से रौताही मेला और रावत नाच महोत्सव का आयोजन बुधवारी बाजार ग्राउंड में किया जाता था, लेकिन निर्माण कार्य और जगह की कमी के कारण वहां आयोजन संभव नहीं हो पा रहा है। इसी वजह से पिछले वर्ष की तरह इस बार भी स्टेशन रोड पर रौताही मेला आयोजित किया जाएगा।
कालेज में होगा रावत नाच महोत्सव
रौताही मेले के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष होने वाला रावत नाच महोत्सव का इस वर्ष भी आयोजन नगर के पंडित जवाहरलाल नेहरू महाविद्यालय प्रांगण में होगा। नगर सहित राज्य के विभिन्ना क्षेत्रों से आने वाले दलों द्वारा अपने हुनर का प्रदर्शन किया जाएगा। नगर पालिका में आयोजित बैठक में बताया गया कि प्रथम द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले दल को पुरस्कार तथा ट्रॉफी प्रदान की जाएगी। रावत नाच महोत्सव में दूरदराज से पहुंचने वाले दल के द्वारा विभिन्ना प्रकार के हैरतअंगेज करतब का प्रदर्शन किया जाता है जिसे देखने नगर सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों से भारी संख्या में लोग नगर पहुंचते हैं।
विभिन्न जिलाें से पहुंचे थे आदिवासी समुदाय के लोग
रौताही बाजार मेला
आदिवासी यात्रा के दौरान गीत प्रस्तुत करती गायिका।
नौदिवसीय शक्ति मेला में आयोजित आदिवासी यात्रा देखने के लिए आदिवासी समुदाय की भीड़ उमड़ पड़ी थी। धनबाद सहित गिरिडीह, बोकारो, हजारीबाग एवं बंगाल के पुरुलिया आदि जिले से लोग वाहनों मंे सवार होकर पहुंचे थे। कार्यक्रम की विशेषता ये थी कि भारी भीड़ होने के बावजूद कमेटी या पुलिस का सहयोग लेने की आवश्यकता नहीं पड़ी। लोगों ने खुद अपने आपको अनुशासित रखा। यात्रा के दौरान भारी संख्या मंे लोगों के आने के कारण मेला में दुकानदारों ने जमकर चांदी काटी।
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डीबी स्टार . सिजुआ
टाटासिजुआ में शहीद शक्तिनाथ महतो के शहादत दिवस समारोह के उपलक्ष्य में चल रहे नौ दिवसीय शक्ति मेले में मंगलवार की रात आदिवासी यात्रा का मंचन किया गया। पुरुलिया पश्चिम बंगाल से आई चंदुतारस ऑपेरा पूर्वी के कलाकारों ने नाटक, गीत संगीत के माध्यम से सामाजिक कुरीति, नशाखोरी, अशिक्षा पर कड़ा प्रहार किया। कलाकारों ने अपने जीवंत अभिनय से लोगों को इस सर्द मौसम में रातभर जमाए रखा। यात्रा के दौरान आदिवासी नृत्य गायन का अनूठा संगम देखने को मिला। आधुनिक युग में कलाकारों के साधारण लिबास ने लोगों को खूब आकर्षित किया। कार्यक्रम की शुरूआत कलाकारों ने अपने इष्ट देवता के प्रार्थना के साथ की। यात्रा का उद्घाटन आयोजन समिति के सचिव सह शहीद के पुत्र मनोज कुमार महतो ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में रंजीत महतो, देवनारायण चौहान आदि सक्रिय थे।
शिक्षाके बिना विकास संभव नहीं
यात्राके माध्यम से दिखाया गया कि कुरीतियां मनुष्य को गर्त मंे डाल देती हैं। इसके जाल में फंसकर लोगों का विकास अवरूद्ध हो जाता है। इसके जाल में लोग इस कदर फंस जाते हैं कि निकलना मुश्किल हो जाता है। कलाकारों ने लोगों के बीच यह संदेश दिया कि शिक्षा के बिना विकास संभव नहीं है। वहीं लोगों में राजनीतिक चेतना लाने पर भी बल दिया गया। इधर हिंदी बंगला फिल्मी गीतों से कलाकारों ने लोगों को झूमने को विवश कर दिया
सक्ति
मेले में मिलने वाली मुख्य चीजें
- खरीदारी: खिलौने, कपड़े और हाथ से बनी चीज़ों के चमकीले स्टॉल।
- खान-पान: विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ जैसे मिठाई और स्नैक्स।
- मनोरंजन और गतिविधियाँ: मेले में खेल, मनोरंजन और अन्य गतिविधियाँ शामिल हो सकती हैं।
- सांस्कृतिक प्रदर्शन: धार्मिक मेले अक्सर कहानियों, संगीत और कला का प्रदर्शन करते हैं।
- धार्मिक पहलू: यदि मेला धार्मिक है, तो आपको पवित्र ग्रंथों और धार्मिक प्रथाओं के बारे में जानकारी मिल सकती है।
- सामुदायिक एकता: मेले समुदाय के बीच सामाजिक-राजनीतिक और आर्थिक शिक्षा और सामुदायिक एकता को बढ़ावा देते हैं।
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सकती मेले में देखने योग्य कई चीज़ें हैं, जिनमें रामनामी संस्कृति का अनूठा प्रदर्शन, भक्त द्वारा प्रसाद वितरण, रामायण पाठ, रामनामी चादर ओढ़े रमरमिहा स्त्री-पुरुष और पारंपरिक रामनाम गोदना देखने लायक हैं। मेले में विभिन्न प्रकार के पारंपरिक व्यंजन, मनोरंजन के साधन और खरीदारी के अवसर भी होते हैं।
मुख्य आकर्षण
- रामनामी संस्कृति: इस मेले का मुख्य आकर्षण रामनामी संप्रदाय के लोग हैं, जो शरीर पर ‘रामराम’ गोदना गुदवाते हैं। वे मोरपंख से सजे मुकुट पहनते हैं और रामनामी चादर ओढ़ते हैं, जो मेले का एक अनूठा और यादगार दृश्य बनाता है।
- प्रसाद वितरण: भक्तों द्वारा चढ़ाए गए चावल और दाल को पकाकर प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
- रामायण पाठ: पूरे मेला क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर रामायण का पाठ होता रहता है, जिससे एक आध्यात्मिक माहौल बनता है।
- भव्य शोभा यात्रा: मेले से पहले, रामनामी बहुल क्षेत्रों से एक भव्य शोभा यात्रा निकाली जाती है।