Top Ten Places in Bastar: छत्तीसगढ़ से सबसे खूबसूरत जिलों की बात की जाए, तो सबसे पहले बस्तर जिले का नाम सामने आता है. क्योंकि यह प्रदेश का सबसे बड़ा आदिवासी इलाका माना जाता है. कुछ सबसे खूबसूरत जगहों और आदिवासी समुदायों के घर हैं. कहा जाता है, कि बस्तर जिला छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है. इसकी सांस्कृतिक इतिहास और प्राकृतिक सुंदरता समृद्ध है. यह देश के सबसे खूबसूरत जगहों में एक माना जाता है. आइए इसके बारे में विस्तार से आपको बताते हैं.
1.बस्तर की ये दस खूबसूरत जगहें
अगर आप इन दिनों खूबसूरत और अनोखी जगहों पर घूमने की तलाश में हैं, तो आपके लिए सबसे बेहतरीन जगह छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में मिल जाएगी. बता दें कि यह जगह आपको कभी निराश नहीं होने देगी. आइए इन खूबसूरत और बेहतरीन पांच जगहों के बारे में जानते हैं.
2.चित्रकोट जलप्रपात – सबसे बात करते हैं, चित्रकोट जलप्रपात की, जो भारत का सबसे चौड़ा जलप्रपात माना जाता है. यह लगभग 300 मीटर चौड़ा है. यह सर्दियों के दिनों लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करताहै. इसे नियाग्रा जलप्रपात के नाम से भी जाना जाता है. चित्रकोट जलप्रपात भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर ज़िले में इन्द्रावती नदी पर स्थित एक सुंदर जलप्रपात है। इस जल प्रपात की ऊँचाई 90 फीट है।इस जलप्रपात की विशेषता यह है कि वर्षा के दिनों में यह रक्त लालिमा लिए हुए होता है, तो गर्मियों की चाँदनी रात में यह बिल्कुल सफ़ेद दिखाई देता है।
चित्रकोट जलप्रपात
जगदलपुर से 40 कि.मी. और रायपुर से 273 कि.मी. की दूरी पर स्थित यह जलप्रपात छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा, सबसे चौड़ा और सबसे ज्यादा जल की मात्रा प्रवाहित करने वाला जलप्रपात है। यह बस्तर संभाग का सबसे प्रमुख जलप्रपात माना जाता है। जगदलपुर से समीप होने के कारण यह एक प्रमुख पिकनिक स्पाट के रूप में भी प्रसिद्धि प्राप्त कर चुका है। अपने घोडे की नाल समान मुख के कारण इस जाल प्रपात को भारत का निआग्रा भी कहा जाता है। चित्रकूट जलप्रपात बहुत ख़ूबसूरत हैं और पर्यटकों को बहुत पसंद आता है। सधन वृक्षों एवं विंध्य पर्वतमालाओं के मध्य स्थित इस जल प्रपात से गिरने वाली विशाल जलराशि पर्यटकों का मन मोह लेती है।
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3.तीरथगढ़ झरना – जगदलपुर से 35 किलामीटर की दूरी पर स्थित यह मनमोहक जलप्रपात पर्यटकों का मन मोह लेता है। पर्यटक इसकी मोहक छटा में इतने खो जाते हैं कि यहाँ से वापिस जाने का मन ही नहीं करता। मुनगाबहार नदी पर स्थित यह जलप्रपात चन्द्राकार रूप से बनी पहाड़ी से 300 फिट नीचे सीढ़ी नुमा प्राकृतिक संरचनाओं पर गिरता है, पानी के गिरने से बना दूधिया झाग एवं पानी की बूंदों का प्राकृतिक फव्वारा पर्यटकों को मन्द-मन्द भिगो देता है। करोड़ो वर्ष पहले किसी भूकंप से बने चन्द्र-भ्रंस से नदी के डाउन साइड की चट्टाने नीचे धसक गई एवं इससे बनी सीढ़ी नुमा घाटी ने इस मनोरम जलप्रपात का सृजन किया होगा।बात करें देश के सबसे मनमोहक झरनों की तो सबसे पहले लोग तीरथगढ़ झरना का नाम जहन में लाते हैं. इस हिसाब से अंदाजा लगाया जा सकता है कि तीरथगढ़ झरना कितना प्रभावशाली है. यह झरना कई झरनों में बंट जाता है. सर्दियों के दिनों में यहां पिकनिक मनाने के लिए लोग आते रहते हैं.
4.कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान – भारत के जैव-भौगोलिक वर्गीकरण (रॉजर्स एवं पंवार, 1988) के अनुसार, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र पूर्वी प्रांत द्वारा निर्दिष्ट जोन-6सी दक्कन प्रायद्वीप-पूर्वी उच्चभूमि में स्थित है और पूर्वी घाट क्षेत्र के साथ सीमा बनाता है। झा और खन्ना (2005) ने कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में 310 वंशों और 89 कुलों के अंतर्गत आवृतबीजी की 456 प्रजातियों की सूचना दी। राष्ट्रीय उद्यान में 120 कुलों और 574 कुलों से संबंधित कुल 963 पुष्प प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं।
पार्क में टेरिडोफाइट्स की कुल 39 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जो 21 वंशों और 15 कुलों से संबंधित हैं (श्वेता सिंह, 2010)। नैथानी और पाल (2006) के निष्कर्षों से पता चला है कि म्यांमार और थाईलैंड का मूल निवासी बाँस, गिगेंटोक्लोआ अल्बोसिलिएटा (मुनरो) कुर्ज़, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के जंगलों में पाया गया है।इसके अलावा, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, देश के सबसे घने जंगलों में से एक माना जाता है. यह उद्यान कई झरनों और चूना पत्थर की गुफाओं का घर है. यहां पर आपको स्थानीय और दुर्लभ बस्तर पहाड़ी मैना देखने को मिलती है.
कांगेर घाटी
5.कोटुमसर गुफा – यदि आपको गुफाओं बगैरा में घूमना पसंद है, तो बस्तर में कोटुमसर गुफा भारत की सबसे खूबसूरत गुफाओं में से एक मानी जाती है. गुफा के अंदर स्टैलेग्माइट्स की मौजूदगी के कारण बड़ी संख्या में लोग घूमने के लिए आते हैं. बताया जाता है कि इस गुफा में कई दुर्लभ जानवरों का ठिकाना माना जाता है.कोटसर गुफा को शुरू में गोपांसर गुफा (गोपन = छुपा) नाम दिया गया था, लेकिन वर्तमान नाम कोटसर अधिक लोकप्रिय हो गया क्योंकि गुफा ‘कोटसर’ नामक गांव के पास स्थित है। कोटसर गुफा भारतीय राज्य छत्तीसगढ़ में जगदलपुर के पास स्थित है। कोटमसर गुफा पर्यावरणीय पर्यटनमें रुचि रखने वाले लोगों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। यह कोलेब नदी की एक सहायक नदी केगर नदी के किनारे स्थित केंजर चूना पत्थर बेल्ट पर गठित एक चूना पत्थर गुफा है। प्रवेश निर्देशांक 18052’0 9 “एन हैं 81056’05 “ई (डब्लूजीएस 84) और यह समुद्री स्तर से 560 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। एक पहाड़ी की दीवार में एक लंबवत फिशर गुफा के लिए मुख्य प्रवेश के रूप में कार्य करता है, और वहां से पर्यटकों की सुविधा के लिए गुफा के अंत तक एक ठोस मार्ग बना दिया गया है। गुफा की मुख्य सुरंग कई पार्श्व और नीचे के मार्गों के साथ लगभग 200 मीटर लंबी है। विभिन्न प्रकार के स्लेथोथेम मनोरम दृश्य पेश करते हैं।
6.कैलाश गुफा – स्तर घने जंगलों, सर्पिन घाटियों, नदियों, के साथ एक रहस्यमय भूमि है। कैंगेर वैली नेशनल पार्क में तीन असाधारण गुफाएं हैं, कैलाश गुफा इस क्षेत्र की सबसे पुरानी गुफा है। इस गुफा की खोज 22 मार्च 1 99 3 में की गयी | बस्तर के भूमिगत गुफाओं में कैलाश गुफा में सबसे शुरुआती चूना पत्थर के गठन हैं जो बहुत आकर्षक हैं। इस गुफा की ज्ञात लंबाई 120 फीट की गहराई के साथ 1000 फीट है। लुभावनी चूना पत्थर संरचनाओं के कारण समान रूप से शिवलिंग – गुफा के अंदर स्टैलेक्टसाइट्स और स्टालाग्माइट्स इसे कैलाश की प्रतिकृति देते हैं। इन ड्रिपस्टोन संरचनाओं को स्थानीय लोगों द्वारा पूजा भी की जाती है।इसके पास एक कैलाश गुफा है, जो कि बस्तर की सबसे पुरानी गुफा मानी जाती है. इस गुफा की खोज 1993 ई. में हुई थी. तभी से इसकी चूना पत्थर की संरचनाएं पर्यटकों को अपनी ओर खींचे चली आती हैं.
कैलाश गुफा
7.ढोलकल शिखर- दंतेवाड़ा जिले के ढोलकल शिखर पर करीब ढाई से तीन हजार फीट की ऊंचाई पर गणपति विराजे हैं। गणपति जी से लोगों की आस्था जुड़ी है। साथ ही कई किवदंतियां भी हैं। बताया जाता है कि भगवान परशुराम और गणेश जी का यहां युद्ध हुआ था।इसके बाद यहां एक दंत वाले गणेश जी की मूर्ति स्थापित की गई थी।हालांकि इसकी पुष्टि अब तक नहीं हो पाई है। गांव के बुजुर्गों और कहानी के अनुसार यह जानकारी सामने आई थी। वर्तमान में यहां हर साल ढोलकल महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है। लोगों का मानना है कि गणेश जी क्षेत्र की रक्षा करते हैं।
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8.मिचनार हिल टॉप – जगदलपुर से 40 तो वहीं चित्रकोट जल प्रपात से 25 किमी की दूरी पर मिचनार की खूबसूरत पहाड़ी स्थित है। हाल ही में इस जगह के बारे में लोगों को पता चला था। हालांकि यह भी एक तरह की ट्रैकिंग प्लेस है।खड़ी पहाड़ में चढ़ कर टॉप में पहुंचा जाता है। जिसके बाद गहरी खाई और यहां का खूबसूरत नजारा देखने लायक होता है।
9.नारायणपाल मंदिर – जगदलपुर के उत्तर-पश्चिमी तरफ, चित्रकोट झरने से जुड़ा हुआ, नारायणपाल नाम का एक गांव, इंद्रवती नदी के दूसरे किनारे पर स्थित है। आसपास के विष्णु मंदिर, मंदिर की स्थापना के बाद एक छोटे से गांव को नारायणपुर के रूप में नामित किया गया, इस बीच, इसे नारायणपाल के नाम से जाना जाने लगा। नारायणपाल मंदिर बस्तर की विरासत में अपने सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक मूल्य के लिए जाने-माने है।
10.तामड़ा घुमर – मारडूम के पास चित्रकोट के रास्ते पर, एक बारहमासी झरना, तमड़ा घुमर है। बरसात के मौसम के दौरान, हरियाली और गर्मी के बादल सुंदरता को बढ़ाते हैं। बस्तर प्रकृति की विशाल सुंदरता के लिए जाना जाता है। चित्रधारा, तमड़ा घुमर और मेहेंदरी घुमर चित्राकोट झरने के लिए सर्किट को और भी सुखद और आनंददायक बनाते हैं।
तामड़ा घुमर
प्रमुख आकर्षण
- चित्रकोट जलप्रपात (Chitrakote Falls): इसे अक्सर ‘भारत का नियाग्रा जलप्रपात’ कहा जाता है। इंद्रावती नदी पर बना यह घोड़े की नाल के आकार का झरना मानसून के मौसम में अपनी पूरी भव्यता में दिखाई देता है। आप झरने के पास नाव की सवारी का भी आनंद ले सकते हैं।
- तीरथगढ़ जलप्रपात (Tirathgarh Waterfall): यह कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के भीतर स्थित एक बहु-स्तरीय (multi-tiered) झरना है। घने जंगलों से घिरे इस स्थान पर एक पुराना शिव-पार्वती मंदिर भी है।
- कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान (Kanger Valley National Park): यह एक बायो-डाइवर्सिटी हॉटस्पॉट है, जो अपनी घनी बांस की लकड़ी और वन्य जीवन के लिए जाना जाता है। यह पार्क कुटुमसर और कैलाश जैसी प्राकृतिक गुफाओं का भी घर है।
- कुटुमसर गुफाएँ (Kotumsar Caves): ये प्राकृतिक चूना-पत्थर (limestone) की गुफाएँ हैं, जो अपनी आश्चर्यजनक स्टैलेक्टाइट और स्टैलेग्माइट संरचनाओं के लिए जानी जाती हैं। गुफाओं के अंदर का तापमान ठंडा रहता है, जो एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है।
- कैलाश गुफाएँ (Kailash Caves): कुटुमसर गुफाओं के पास स्थित एक और प्राकृतिक गुफा, जो अपनी शांत सुंदरता के लिए जानी जाती है।
- दंतेश्वरी मंदिर (Danteshwari Temple): दंतेवाड़ा में स्थित यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है और बस्तर क्षेत्र के स्थानीय लोगों के लिए बहुत आस्था का केंद्र है।
- बस्तर पैलेस (Bastar Palace): जगदलपुर शहर के भीतर स्थित, यह महल बस्तर के शाही इतिहास और संस्कृति की झलक प्रदान करता है।
- मानव विज्ञान संग्रहालय (Anthropological Museum): यह संग्रहालय बस्तर की विविध जनजातीय कला और संस्कृति को प्रदर्शित करता है और इस क्षेत्र की जीवन शैली को समझने का एक शानदार तरीका है।
घूमने के लिए सही समय:
- अक्टूबर से मार्च (शीतकालीन): यह बस्तर घूमने के लिए सबसे अच्छा समय है। मौसम सुहावना, ठंडा और आरामदायक रहता है, जो दर्शनीय स्थलों की यात्रा (sightseeing) और आउटडोर गतिविधियों के लिए बहुत अच्छा है।
- जुलाई से सितंबर (मानसून): इस दौरान झरने (जैसे चित्रकोट, तीरथगढ़) पूरी तरह पानी से भरे और अपने चरम पर होते हैं, जो एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करते हैं। हालांकि, भारी बारिश के कारण यात्रा थोड़ी चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
- अप्रैल से जून (गर्मी): इस दौरान तापमान बहुत अधिक होता है, जिससे यात्रा करना असहज हो सकता है। इस समय यात्रा करने से बचें।