दोस्तो आइए जानते थे पहाड़ी इलाकों के बारे में जहां जाने से तो मन में डर रहता है साथ ही साथ वहा घूम कर आपको या आपके साथ गए दोस्त या परिवार के लिए आनन्द दायक भी होता है वहा जा कर सबको अतंत खुशी होती है छत्तीसगढ़ भौतिक संपदा की दृष्टि से समृद्ध राज्य हैं जिसके कारण प्रदेश में पर्वत पठार पाठ प्रदेश एवं मैदानी क्षेत्रों का स्पष्ट विभाजन है पहाड़ी छोटी और उसकी ऊंचाई और उसका क्षेत्र क्या है उसके बारे में इस ब्लॉक में जानेंगे
• गौरलाटा इसकी ऊंचाई 1225 मीटर सामरी पाट क्षेत्र के बलरामपुर में स्थित है
• धीराज नंदी राज पहाड़ी जो 1210 मीटर बैलाडीला क्षेत्र के दंतेवाड़ा में स्थित है4
• बंदरगढ़ 11 से 76 मीटर की ऊंचाई पर निकाल सैनी के क्षेत्र में कवर्धा में स्थित है
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• मैनपाट 1152 मीटर की ऊंचाई पर सरगुजा में स्थित है
• अबुझामाड की पहाड़ी 1076 मेटा नारायणपुर के क्षेत्र में स्थित है
• लाफागढ़ की चोटी यहां 1048 मीटर पेंड्रालोरमी का पठार है
• पल्मागढ़ की चोटी 1080 मी पेंड्रालोरमी का पठार
• देवगढ़ 1033 मी कोरिया में स्थित है
• पेंटल लोरमी का पत्थर 800 मीटर की ऊंचाई पर गौरेला पेंड्रा मरवाही में स्थित है
• दलहा पहाड़ इसकी ऊंचाई 760 मी अकलतरा में स्थित है
• डोंगरगढ़ की पहाड़ी 704 मीटर माइकल श्रेणी के क्षेत्र राजनांदगांव में स्थित है
• जशपुर पाठ 700 मीटर की ऊंचाई पर जशपुर में स्थित है
• रामगढ़ की पहाड़ी 700 मीटर की ऊंचाई पर सरगुजा में स्थित है
• कैमूर पर्वत 700 मीटर की ऊंचाई पर कोरिया में स्थित है
• सिहावा पर्वत 700 मीटर की ऊंचाई पर धमतरी में स्थित है
• गढ़िया पहाड़ 700 मीटर की ऊंचाई पर कांकेर स्थित है
• कुल्हाड़ी पहाड़ी 700 मीटर की ऊंचाई पर राजनांदगांव में स्थित है
• मांझी डोंगरी 700 मीटर की ऊंचाई पर बस्तर के क्षेत्र में स्थित है
• बड़े डोंगर 700 मीटर की ऊंचाई पर घोड़ा गांव में स्थित है
• छोटे डोंगर 700 मीटर की ऊंचाई पर नारायणपुर में स्थित है
• सीता लिखने की पहाड़ी 700 मीटर की ऊंचाई पर सूरजपुर में स्थित है
• छाता पहाड़ी 7 मीटर ऊंचाई पर बलौदा बाजार में स्थित है
पहाड़ों का महत्व
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत में एक से एक शानदार पहाड़ हैं, पहाड़ों की श्रृंखलाएं हैं और सुंदर एवं मनोरम घाटियां हैं। पहाड़ को जीवंत बनाने के लिए जरूरी मुख्य तत्वों में पेड़ और पानी- दोनों आवश्यक हैं। वृक्ष से पानी, पानी से अन्न तथा अन्न से जीवन मिलता है। जीवन को परिभाषित करने के लिए जीव और वन- दोनों जरूरी हैं। जहां वन होता है वहीं जीव होते हैं। इनके बिना पहाड़ अधूरा और कमजोर है। दूसरी ओर पहाड़ों के कारण ही नदियों का बहना जारी है। मानव एक ओर जहां पहाड़ काट रहा है वहीं नदियों पर बांध बनाकर उनके अस्तित्व को मिटाने पर तुला है तो दूसरी ओर अंधाधुंध तरीके से पेड़ काटे जा रहे हैं। बायपास सड़क और रेती-गिट्टी के लिए कई छोटे शहरों के छोटे-मोटे पहाड़ों को काट दिया गया है और कइयों को अभी भी काटा जा रहा है। दरअसल, पहले किसी भी पहाड़ के उत्तर में गांव और शहर को बसाया जाता था ताकि दक्षिण से आने वाले तूफान और तेज हवाओं से शहर की रक्षा हो सके। मनुष्य के जीवन में पहाड़ महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं
भारत का पहाड़ी छेत्र
1.रोहतांग दर्रा – रोहतांग दर्रा भारत के सबसे मनमोहक पर्वतीय दर्रों में से एक है। हिमाचल प्रदेश के मध्य में स्थित, यह कुल्लू घाटी को लाहौल-स्पीति की अन्य घाटियों से जोड़ता है। जब पहाड़ बर्फ की चादर में लिपट जाते हैं, तो यह जगह सर्दियों के लिए एक अद्भुत जगह बन जाती है। मनाली से रोहतांग दर्रे तक आसानी से पहुँचा जा सकता है।
2. नाथू ला दर्रा – नाथू ला दर्रा भारत के महत्वपूर्ण दर्रों में से एक है, जो 14,140 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। इसकी खासियत इसकी रणनीतिक स्थिति है। यह दर्रा सिक्किम को चीन के तिब्बत क्षेत्र से जोड़ता है। इसके अलावा, नाथू ला दर्रा प्राचीन रेशम मार्ग का भी हिस्सा रहा है। थू ला दर्राव्यापार के साथ-साथ, यह पहाड़ी दर्रा रोमांच चाहने वालों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। पहाड़ियों के मनमोहक दृश्य और ऊबड़-खाबड़ रास्ते इसे एक बेहतरीन गंतव्य बनाते हैं। इस क्षेत्र में तिब्बती प्रभाव के कारण आप संस्कृतियों का एक सहज मिश्रण देख सकते हैं। सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण, इस दर्रे पर जाने के लिए आपको परमिट की आवश्यकता होती है।
3. खारदुंग ला दर्रा – क्या आप उन अद्भुत नज़ारों के लिए अपनी साँसें थामने को तैयार हैं? खारदुंग ला दर्रा निश्चित रूप से भारत के सबसे शानदार पर्वतीय दर्रों में से एक है। यह पर्वतीय दर्रा लेह को नुब्रा घाटी और श्योक घाटी से जोड़ता है। यह सचमुच लेह से लद्दाख की ओर जाने जैसा है, जहाँ दृश्यों में एक अलग ही बदलाव है। रदुंग ला दर्राइन अद्भुत प्राकृतिक दृश्यों को देखने के लिए खुद को तैयार कर लीजिए। नुब्रा घाटी में आप बंजर पहाड़ियों से लेकर हरियाली तक का परिवर्तन देख सकते हैं। घुमावदार रास्तों से गुज़रते हुए, कराकोरम पर्वतमाला की एक झलक देखकर जादुई नज़ारों की आपकी प्यास तृप्त हो जाएगी।
4. कुंजुम दर्रा – हिमालय की पहाड़ियाँ सुकून के शब्द गूँजती हैं! कुंजुम दर्रा भारत के प्रमुख पर्वतीय दर्रों में से एक है जो दो अत्यंत रहस्यमयी स्थानों को जोड़ता है। यह पर्वतीय दर्रा स्पीति और लाहौल घाटी को एक खूबसूरत पृष्ठभूमि के साथ जोड़ता है।कुंजुम देवी मंदिर की दिव्यता ही इस पहाड़ी दर्रे और उससे होकर यात्रा करने वाले यात्रियों की रक्षा करती है। प्रार्थना झंडियों और बौद्ध प्रार्थनाओं से सुसज्जित, कुंजुम दर्रा, होडोफाइल्स के लिए एक मनोरम स्थल है! बर्फ से ढकी चोटियों और विशाल ग्लेशियरों की उपस्थिति आपकी यात्रा को अभूतपूर्व रूप से रोमांचक बना देती है।
5. काराकोरम दर्रा – काराकोरम दर्रा अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह भारत को चीन से जोड़ता है। यह दर्रा भारत, चीन और पाकिस्तान की सीमाओं से लगा हुआ है, जो इसे अत्यंत महत्वपूर्ण बनाता है। 5,540 मीटर की ऊँचाई पर स्थित, यह पर्वतीय दर्रा आमतौर पर पर्यटकों के लिए सुलभ नहीं है। हालाँकि यह भारत के पर्यटन-प्रधान पर्वतीय दर्रों में से एक है, लेकिन प्राचीन रेशम मार्ग में भी इसका विशेष महत्व है।
6. कंचनजंगा चोटी
ऊंचाई: 8586 मीटर
स्थान: सिक्किम
तथ्य: कंचनजंगा दुनिया की तीसरी और भारत की पहली सबसे ऊंची चोटी है। इसकी ऊंचाई 8,586 मीटर (28,169 फीट) है। कंचनजंगा का शाब्दिक अर्थ है “बर्फ के पांच खजाने” (अर्थात् सोना, चांदी, रत्न, अनाज और पवित्र पुस्तकें)।कंचनजंगा खंड में पांच चोटियां हैं और इस क्षेत्र में 7,000 मीटर (23,000 फीट) से अधिक 12 और चोटियां हैं। कंचनजंगा भारत और नेपाल की सीमा पर ग्रेट हिमालय पर्वतमाला, सिक्किम में स्थित है
7.कामेट चोटी
ऊंचाई: 7756 मीटर
स्थान: उत्तराखंड
तथ्य: कामेट उत्तराखंड के चमोली जिले में गढ़वाल क्षेत्र की जास्कर पर्वत श्रृंखला का सबसे ऊंचा शिखर है। कामेट गढ़वाल हिमालय का दूसरा सबसे ऊंचा पर्वत शिखर है। कामेट पर्वत शिखर तीन प्रमुख पड़ोसी चोटियों से घिरा हुआ है और तिब्बत के बहुत करीब स्थित है।यह मुख्य श्रेणी के उत्तर में स्थित है और कुछ हिमालय चोटियों की तुलना में अधिक दुर्गम और कम पहुंच योग्य है।
8.साल्टोरो कांगड़ी चोटी
ऊंचाई: 7742 मीटर
स्थान: जम्मू और कश्मीर
तथ्य: साल्टोरो कांगड़ी, काराकोरम की एक उप-श्रृंखला, साल्टोरो पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊंची चोटी है। साल्टोरो पर्वत ग्रेट काराकोरम के केंद्र में स्थित है और दुनिया के सबसे लंबे ग्लेशियर यानि सियाचिन ग्लेशियर के बहुत करीब है।
हिल्स और माउंटेन में अंतर
-हिल्स की ऊंचाई आमतौर पर 2000 मीटर से कम होती है, जबकि माउंटेन की ऊंचाई 2000 मीटर से अधिक होती हैं।
- कुछ ही मामलों में हिल्स नाम से जाने जाते हैं, लेकिन अधिकांश माउंटेन नाम से जाने जाते हैं।
- हिल्स पर आप आसानी से चढ़ सकते हैं, लेकिन माउंटेन पर चढ़ना आसान नहीं होता है।
- माउंटेन जमीन से काफी ऊंचाई पर होते हैं, ऐसे में यहां बसावट कम होती है, जबकि कुछ हिल्स पर आपको अधिक बसावट देखने को मिल जाएगी।
- आमतौर पर हिल्स का टॉप गोलाकार होता है, जिस पर रहा जा सकता है, जबकि माउंटेन का पीक ऐसा नहीं होता है।