दीपावली निश्चित तौर पर भारत में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा हिंदू त्यौहार है। दीपावली क्यों मनाया जाता है ‘दीप जिसका मतलब है रोशनी’ और ‘वली जिसका मतलब है पंक्ति’,अर्थात रोशनी की एक पंक्ति। दीपावली का त्यौहार चार दिनों के समारोहों से चिह्नित होता है,जो अपनी प्रतिभा के साथ हमारी धरती को रोशन करता है और हर किसी को अपनी खुशी के साथ प्रभावित करता है।दीवाली या लोकप्रिय रूप से दीपावली के नाम से जाना जाने वाला यह त्योहार भारत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। दीवाली दुनिया भर में रोशनी का एक भारतीय त्योहार, चमकदार प्रदर्शन, प्रार्थना और उत्सवपूर्ण त्योहार है।
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त (20 अक्टूबर 2025, सोमवार)
इस वर्ष दीपावली की तिथि को लेकर लोगों के बीच भ्रम की स्थिति है, कुछ लोग 20 अक्टूबर तो कुछ 21 अक्टूबर को पूजन का दिन मान रहे हैं. लेकिन यदि हम शास्त्रों और पंचांग के आधार पर देखें, तो सही तिथि का निर्धारण स्पष्ट हो जाता है.इस बार अमावस्या दो दिनों तक रहेगी. दीपावली पूजन की तिथि तय करने का शास्त्रीय नियम है: ‘प्रदोष व्यापिनी अमावस्या’. इसका मतलब है कि जिस दिन सूर्यास्त के बाद (प्रदोष काल में) अमावस्या तिथि मौजूद हो, उसी रात लक्ष्मी पूजन करना चाहिए. शास्त्रों में प्रदोष काल को लक्ष्मी पूजन का सबसे महत्वपूर्ण समय माना गया है
देवी लक्ष्मी
- सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और मंदिर स्थल को साफ करें।
- मंदिर में गंगाजल से छिड़काव करें फिर लाल वस्त्र को बिछाएं।
- मंदिर के स्थान पर सजावट करें।
- माता लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें और उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं।
- पश्चात माता के समक्ष पुष्प अर्पित कीजिए और उन्हें चंदन से तिलक लगाइए।
- अब एक थाली में खील, बताशे, अक्षत और चांदी के सिक्के डालकर माता के सामने रख दीजिए।
- घी का दीपक और धूप जलाइए और फल और मिठाई का भोग लगाइए।
- घी का दीपक जलाकर घर के चारों ओर रखें और अपने मुख्य द्वार पर लगाएं।
- पहले भगवान गणेश जी की आरती कीजिए फिर माता लक्ष्मी की आरती कीजिए।
- देवी लक्ष्मी के ‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:’ मंत्र का जाप करें।
- इसके बाद परिवार और पड़ोसियों में प्रसाद वितरित करें।
- अंत में क्षमा प्रार्थना करें और मनोकामना मांगें।
भगवान राम की वापसी
दिवाली के पीछे सबसे लोकप्रिय कथा प्राचीन भारतीय महाकाव्य रामायण के राजकुमारों में से एक, भगवान राम की कहानी है। इस कथा के अनुसार, भगवान राम को 14 वर्षों के लिए अपने राज्य से निर्वासित कर दिया गया था। अपने वनवास के इस काल में उन्हें अनेक कष्टों का सामना करना पड़ा, और अंततः उनकी पत्नी सीता का रावण नामक राक्षस राजा द्वारा अपहरण कर लिया गया।वानरों के एक समूह और अपने समर्पित हनुमान के साथ, उन्होंने लंका पर एक विशाल युद्ध किया और सीता को बचाया। इस प्रकार राम ने रावण को परास्त किया और अयोध्या में अपने राज्य लौट आए। उनके लौटने पर, अयोध्या के सभी घरों में तेल के दीये जलाए गए। और आज तक दिवाली के बाद तेल के दीये जलाए जाते हैं।
दीपक का महत्व
तेल के दीपक को प्रज्ज्वलित करने के लिए बत्ती को तेल में डुबाना पड़ता है परन्तु यदि बत्ती पूरी तरह से तेल में डूबी रहे तो यह जल कर प्रकाश नहीं दे पाएगी, इसलिए उसे थोड़ा सा बाहर निकाल के रखते हैं। हमारा जीवन भी दीपक की इसी बत्ती के सामान है, हमें भी इस संसार में रहना है फिर भी इससे अछूता रहना पड़ेगा। यदि हम संसार की भौतिकता में ही डूबे रहेंगे, तो हम अपने जीवन में सच्चा आनंद और ज्ञान नहीं ला पाएँगे। संसार में रहते हुए भी, इसके सांसारिक पक्षों में न डूबने से हम, आनंद एवं ज्ञान के द्योतक बन सकते हैं।जीवन में ज्ञान के प्रकाश का स्मरण कराने के लिए ही “ दीपावली ” मनाई जाती है। “दिवाली” केवल घरों को सजाने के लिए नहीं, बल्कि जीवन के इस गूढ़ रहस्य को उजागर/संप्रेषित करने के लिए भी मनाई जाती है। हर दिल में ज्ञान और प्रेम का दीपक जलाएँ और हर एक के चेहरे पर मुस्कान की आभा लाएँ।
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घर के बाहर बनाएं रंगोली
दीपावली के 6 दिनों में सुबह जल्दी उठना चाहिए और घर की साफ-सफाई करने के बाद घर के बाहर रंगोली बनानी चाहिए। रंगोली बनाने से घर के आसपास का वातारवण सकारात्मक और पवित्र बनता है और घर की सुंदरता भी बढ़ती है। रंगोली की वजह से त्योहारों को लेकर उत्साह बना रहता है।
गंगाजल का करें छिड़काव
देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए दीपावली पर विशेष पूजा की जाती है। देवी लक्ष्मी की कृपा उन्हीं घरों पर होती है, जहां सकारात्मकता और पवित्रता बनी रहती है। घर के वातावरण को शुद्ध और पवित्र बनाने के लिए रोज सुबह हर कमरे की सफाई करें और फिर गंगाजल का छिड़काव करें। गंगाजल के संबंध में मान्यता है कि इसके स्पर्श से हर एक चीज पवित्र हो जाती है। गंगाजल के स्पर्श मात्र से पाप कर्मों के फल नष्ट हो जाते हैं, ऐसी मान्यता है।
घर के मंदिर में जलाएं कर्पूर
घर के मंदिर में पूजा करते समय कर्पूर जरूर जलाना चाहिए। कर्पूर की महक घर में सकारात्मकता बढ़ती है। कर्पूर जलाने से घर का माहौल धार्मिक बनता है। कर्पूर के बारे में कहा जाता है कि इसकी सुगंध से वातावरण में मौजूद हानिकारक सूक्ष्म जीवाणु खत्म होते हैं। पूजा या हवन करते समय जब हम कर्पूर जलाते हैं तो उससे निकलने वाला धुआं आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है।
घर के मुख्य द्वार पर रोज जलाएं दीपक
दीपावली के दिनों में रोज सूर्यास्त के बाद घर के मुख्य द्वार पर दीपक जरूर जलाएं और दीपक जलाते समय मन ये भाव रखे कि देवी-देवताओं की कृपा से हमारे घर से दुखों का अंधकार दूर हो और हम सभी जीवन में दीपक की रोशनी के जैसा प्रकाश आए।
सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जलाना न भूलें
दीपावली पर विष्णु-लक्ष्मी के साथ ही विष्णु प्रिया तुलसी की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। रोज सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं और सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जलाएं। तुलसी की वजह से घर के आसपास का वातावरण सकारात्मक बना रहता है। तुलसी घर के वास्तुदोष भी दूर करती है, इसलिए घर के आंगन में तुलसी लगाने की परंपरा है।
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धनतेरस से लेकर दीपावली तक करें ये छोटे-छोटे उपाय
1.पहला कार्य : लिपाई-पुताई
वर्षा के कारण गंदगी होने के बाद संपूर्ण घर की सफाई और लिपाई-पुताई करना जरूरी होता है। मान्यता के अनुसार जहां ज्यादा साफ-सफाई और साफ-सुथरे लोग नजर आते हैं, वहीं लक्ष्मी निवास करती हैं।
2. दूसरा कार्य : वंदनवार
आम या पीपल के नए कोमल पत्तों की माला को वंदनवार कहा जाता है। इसे अकसर दीपावली के दिन द्वार पर बांधा जाता है। वंदनवार इस बात का प्रतीक है कि देवगण इन पत्तों की भीनी-भीनी सुगंध से आकर्षित होकर घर में प्रवेश करते हैं।
3.तीसरा कार्य : रंगोली
रंगोली या मांडना को ‘चौंसठ कलाओं’ में स्थान प्राप्त है। उत्सव-पर्व तथा अनेकानेक मांगलिक अवसरों पर रंगोली से घर-आंगन को खूबसूरती के साथ अलंकृत किया जाता है। इससे घर-परिवार में मंगल रहता है।
4.चौथा कार्य : दीपक
पारंपरिक दीपक मिट्टी का ही होता है। इसमें 5 तत्व हैं- मिट्टी, आकाश, जल, अग्नि और वायु। हिन्दू अनुष्ठान में पंच तत्वों की उपस्थिति अनिवार्य होती है।
5.पांचवां कार्य : चांदी का ठोस हाथी
विष्णु तथा लक्ष्मी को हाथी प्रिय रहा है इसीलिए घर में ठोस चांदी या सोने का हाथी रखना चाहिए। ठोस चांदी के हाथी के घर में रखे होने से शांति रहती है और यह राहू के किसी भी प्रकार के बुरे प्रभाव को होने से रोकता है।
6.छठा कार्य : कौड़ियां
पीली कौड़ी को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। कुछ सफेद कौड़ियों को केसर या हल्दी के घोल में भिगोकर उसे लाल कपड़े में बांधकर घर में स्थित तिजोरी में रखें। ये कौड़ियां धनलक्ष्मी को आकर्षित करती हैं।
7.सातवां कार्य : चांदी की गढ़वी
चांदी का एक छोटा-सा घड़ा, जिसमें 10-12 तांबे, चांदी, पीतल या कांसे के सिक्के रख सकते हैं, उसे गढ़वी कहते हैं। इसे घर की तिजोरी या किसी सुरक्षित स्थान पर रखने से धन और समृद्धि बढ़ती है। दीपावली पूजन में इसकी भी पूजा होती है।
8.आठवां कार्य : मंगल कलश
एक कांस्य या ताम्र कलश में जल भरकर उसमें कुछ आम के पत्ते डालकर उसके मुख पर नारियल रखा होता है। कलश पर रोली, स्वस्तिक का चिन्ह बनाकर उसके गले पर मौली बांधी जाती है।
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9.नौवां कार्य : पूजा-आराधना
दीपावली पूजा की शुरुआत धन्वंतरि पूजा से होती है। दूसरा दिन यम, कृष्ण और काली की पूजा होती है। तीसरे दिन लक्ष्मी माता के साथ गणेशजी की पूजा होती है। चौथे दिन गोवर्धन पूजा होती है और अंत में पांचवें दिन भाईदूज या यम द्वीतिया मनाई जाती है।
10.दसवां कार्य : मजेदार पकवान
दीपावली के 5 दिनी उत्सव के दौरान पारंपरिक व्यंजन और मिठाई बनाई जाती है। हर प्रांत में अलग-अलग पकवान बनते हैं। उत्तर भारत में ज्यादातर गुझिये, शकरपारे, चटपटा पोहा चिवड़ा, चकली आदि बनाते हैं।
ज्ञान और प्रकाश
कोई भी उत्सव सेवा भावना के बिना अधूरा है। ईश्वर से हमें जो भी मिला है, वह हमें दूसरों के साथ भी बाँटना चाहिए क्योंकि जो बाँटना है, वह हमें भी तो कहीं से मिला ही है और यही सच्चा उत्सव है। आनंद एवं ज्ञान को फैलाना ही चाहिए और ये तभी हो सकता है, जब लोग ज्ञान में साथ आएँ।“ दीपावली ” का अर्थ है वर्तमान क्षण में रहना, अतः भूतकाल के पश्चाताप और भविष्य की चिंताओं को छोड़ कर इस वर्तमान क्षण में रहें। यही समय है कि हम साल भर की आपसी कलह और नकारात्मकताओं को भूल जाएँ। यही समय है कि जो ज्ञान हमने प्राप्त किया है उस पर प्रकाश डाला जाए और एक नई शुरुआत की जाए। जब सच्चे ज्ञान का उदय होता है, तो उत्सव को और भी बल मिलता है।